दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय वक्त

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वक्त समय का यह परिंदा तू , कहां कहां जा रहा।। हमने चलकर पूछा तू, बोल कहां जा रहा।। वक्त ने समझाया मैं, मुसाफिर हूं अजब।। चलते रहता हूं मैं तो, ...

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